मुझे रेखाएं पसंद नहीं थी , क्युकी उसके माथे पर खीचीं एक रेखा भी मुझे बेचैन कर देती थी
और उसे रेखाएं बहुत पसंद थी क्युकी वो मेरे हाथो की रेखाओं में ही गुम रहती थी,खुद को उनमे ही पाती थी ।।
मुझे रेखाएं पसंद नहीं थी , क्युकी रेखाएं सीमा तय कर देती और मैं कभी किसी सीमा में बंधना चाहता ही नहीं , मैं अनंत तक उड़ना चाहता था
उसे रेखाएं पसंद थी क्युकी वो बस मेरे साथ किसी छोटे बच्चे की तरह मेरी उंगलियाँ थामकर , एक सीधी रेखा पर ताउम्र चलते रहना चाहती थी ।।
मुझे रेखाएं पसंद नहीं थी , क्युकी एक रेखा पर मैं कभी चला ही नहीं परिश्थितियों ने मुझे हमेशा टेढ़े मेढ़े रास्तो पर ही चलना सिखाया है , मैं उन्ही पे चलना चाहता था
उसे रेखाएं पसंद थी क्युकी , हम दोनों एक सीधी रेखा सी सड़क पर मिले थे जो दूर तक चलती ही जाती थी , बस वो उन रेखाओं को याद रखना चाहती थी ।।
मुझे रेखाएं पसंद नहीं थी लेकिन , मैं आज भी कुछ बेहद अजीब सी टेढ़ी मेढ़ी रेखाओं में उलझा हुआ हूँ
और उसे रेखाएं पसंद थी , पर अब वो उन रेखाओं से नफरत करती है क्युकी मेरा अक्स आज भी उसकी उन रेखाओं में कहीं फॅसा हुआ है ।।
#छोटेशहरकाआशिक़